शिव अनन्त!!
मिर्ज़ापुर अति प्राचीन शहरों में से है,,मेरा ये शहर कई मायनो में अद्भुत है! चाहे वो यहाँ की लेटलतीफ़ मस्तमौला प्रवृति हो, यहां की गंगा नदी और उसके किनारे पर बसा महिलाओं में प्रसिद्ध खूबसूरत बाज़ार हो,, नदी के किनारों पर बसे मंदिर और शाम को गंगा आरती, सब अद्भुत!! मिर्ज़ापुर की वादियों और मंदिरों से सजी खूबसूरत संस्कृति की बात हम फिर कभी करेंगे,, आज गुरुवार काफी ख़ास है क्योंकि आज शिवरात्रि भी है, शिव मेरे आराध्य देव! और शिव से जुड़ा प्रत्येक शब्द मेरे लिये अनमोल!! तो आज मिर्ज़ापुर की शिव बारात का वर्णन ना हो ऐसा कैसे!!! अभी-अभी मिर्ज़ापुर के अति प्राचीन, अति मान्यता प्राप्त, एवं सिद्ध मंदिर "बुढेनाथ" से निकल कर शिवशंकर शम्भू भोले नाथ की अत्यंत ही मनभावन मनमोहक और शिव में लीन कर देने वाली बारात निकली मेरे ही घर के सामने से निकली ! शिव जी की बारात!!उसमे सजी पालकी में स्वयँ दिगम्बर स्वयम्भू विराजमान थे, प्रचलित मान्यताओं की माने तो कैलाश पर्वत से काशी जाने के दौरान माता पार्वती की जिद पर भोलेनाथ ने विश्वकर्मा से गिरजापुर नामक स्थान बनाने का आदेश दिया था,,वर्तमान में वही स्थान