क्यों ना ऐसा कुछ कर जाय! महिला दिवस रोज़ मनाए!!


आइये महिला दिवस मनाये, आज फिर स्टेज सजाये और माईक पकड़ बुलंद स्वर में कविता गाये!

महिला को महिला की देहरी से बाहर ले जाने की एक और कोशिश कर जाएँ!!

हम में से कुछ!

किनारी वाली कड़क साड़ी पहन आत्म विश्वास दर्शाए, 

और कुछ!! अति महत्वाकांक्षी  काले चश्में में सुर्ख रँगे होठों के साथ नज़र आये,

घरेलू हिंसा को मेकअप की परतों में मुस्कराते छिपाए और....

एक जुट हो महिला आज़ादी और उत्पीड़न पर कुछ जोशीले भाषण भी कर जाएं!!! 

ठहरिए............

शाम होने को है!

 घड़ी ने गलतफहमियों के कुछ घंटे बड़े जीवंत बिताये!!

आइये लौट चले घरों को_____

औरत ही औरत की दुश्मन सबसे पहले चरितार्थ कराये, 

हम में से ही कुछ!

सासों का रोल निभाये!! तो कई बहु बेटियां अपनी अपनी  भूमिकाओं में फिर तीन सौ चौसठ दिन बिताएं!

कहीं सहकर्मी बन अफ़वाह उड़ाए,

 चरित्र हनन की हद तक जाए! और अनजाने में अपनी ही जैसी किसी स्त्री अस्मिता को ठेस पहुंचाये!

 और कहीँ अपने ही वजूद से खुद को टकराये, दहलीज़ पार कर भी हार जाए......

         जरा ठहरिये!, और सोचिये

                       तो,

 क्यूँ ना ऐसा कुछ कर जाएं !!

कि महिला दिवस को रोज़ मनाये,.....

 अपनी अपनी भूमिकाओं में अपने ही दायरे में स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम दर्ज कर जाए संतान की शक्ल में एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण कर जाए जो स्त्री पुरुष के भेद भाव से मुक्त उन्नत प्रगतिशील और प्रेम भाव से सराबोर सम्मानित जीवन पाएं।।। 

     महिला दिवस की अनेक अनेक 

            शुभकामनाये👸

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