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Showing posts from February, 2021

देश का स्वाभिमान! हमारा अभिमान!!

   देश में अनेकों मुद्दे, अनेक है उन पर वाद विवाद! किसी भी मुद्दे पर तेज़ सियासत का बाज़ार!! कहाँ है सच समझने वाले!, और किसी भी बात की तह तक जा कर झूठ और सच में अंतर करने वाले? पुलिस प्रशासन हो या कोर्ट कचहरी और सरकार, कहीं ना कहीं,, बिका हुआ है इन सब का कारोबार!! व्यक्ति से व्यक्ति.... प्रति व्यक्ति भिन्न है, मन और विचार , छोटी सी बात पर ढेरों लम्बी तकरार। नही चाहता कोई ! खत्म हो ! कोई भी वाद विवाद!! क्योंकि फिर शीघ्रता से खत्म हो जाएगा सेवा के नाम पर फैला नेताओ का व्यापार। मुद्दे इतने भी जटिल नही हुआ करते जितना बना देते है, प्रेस मीडिया और उन पर होते डिबेट हजार! छोड़िए ऐसी हठों को, जो बर्बाद कर दे आपकी ही आने वाली नश्ल, घर और संसार। दो कदम आप चलिये, दो कदम चले प्रशासन और सरकार। थोड़ी समझ आप ही पहले दिखाइए,, उतार फेंकिये मतिभ्रम का वो काला चश्मा जो लिया किसी से उधार,, गहराई से सोचिए !! उन मुद्दों से जुड़े तर्क और वितर्क जिन पर आये दिन आप और हम करते है बेवजह की तोड़ फोड़ और अनशन हजार। बर्बाद करते है विरासतों को जो मूक खड़े आपकी ही शान बढ़ा रहे सदियों से।  थोड़ी सी संयम और दूर दृष्टि रखिये!! आपका

# ईश्वर की अनमोल कृति हम!!

 शीत ऋतु की ठंडी रातों में गायों के झुंड एक दूसरे में गुंथे हुए चिपके एक दूसरे से गर्मी का अहसास पाते,छतों पर कोने कोने में बैठे बंदरों को ठंड से सिकुड़े, सहमे से पौ फ़टने और धुप निकलने का इंतजार करते हुए,,सारी रात कुत्तो को डरावनी रोनी पुकार से वातावरण सहमाते हुए, इन बेबस मूक जानवरो को जब देखती हूँ, पराश्रित जीवोँ को प्रकृति और मानवता दोनो की मार पड़ते महसूस करती हूँ!  तो बरबस ये ध्यान आता है की ईश्वर ने मनुष्य को अपनी सभी कीर्तियों में सबसे ज्यादा सुविधा और शक्ति सामर्थ्य दिया सबसे ज्यादा बुद्धि भावनाएं दी! सर्वगुण सम्पन्न बनाया!!  प्रत्येक क्रिया के प्रति प्रतिक्रिया की संवेदना में अग्रणीय मनुष्य !   स्वाद, गन्ध, स्पर्श,दृष्टि, श्रवण, जैसी इंद्रियों के अलावा छठी इन्द्रिय के रूप में मानसिक रूप से भविष्य का आभास करने की तीक्ष्ण संवेदनशील क्षमता भी मनुष्य में सर्वश्रेष्ठ है। किन्तु विकास के क्रम में हम स्वयं को ही ईश्वर समझ बैठे!, आबादी बढ़ाते  हुए हमने  अतिक्रमण को अपना अधिकार माना!!, रिहायशी जरूरतों को पूरा करने के क्रम में जंगलो को काटते गए, जिन जंगलो में जानवर सुरक्षित थे उनके भी अधिका