मत करो भूल, पछताओगे!

 शीर्षक:--"मत करो भूल, पछताओगे"


 प्रत्येक साँस पर महामारी से भारी प्रतिपल व्याकुल मन आशंकित और विचलित!

शवों की बढ़ती गिनतियों से गुजरता आज अभी जीवित,और कल अचानक निर्जीव बनता तन!!

श्वांस -श्वांस उधार मांगता कृत्रिम यंत्रो की  राह देखता।

परिजन कलप रहे !दौड़-दौड़ अनुनय विनय में लगे!!

 स्वजनों के वियोग का डर या स्वयं को सुरक्षित रखें की चेतना, टकरा रही स्वयं के ही अंतर्मन से।

प्रार्थना का स्वरूप बदल गया, ईश्वर से पहले डॉक्टर के दर पर मत्था टिका गया,

जागो मानव ! अब भी जागो!!

दो गज की दूरी और मास्क मुख पर सम्भालो,


मत करो भूल, पछताओगे,,

अपने पीछे बेसहारा और अनाथ परिवारों को अपने कर जाओगे।।

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