अनुभव के शहर में!!
विश्व कविता दिवस,
शीर्षक:- अनुभव के शहर में!!
कविताये ढूंढती है मन के मुकाम!
जागती है शब्दों में,
घूमती है विचारो के नगर में,,
और विचरण के क्रम में रुकती जाती है यादों के हर उस चौराहे पर....
जिससे हो कर उम्र गुजरी होती है! अनुभव के शहर में,
गलियों, मुंडेरों से झांकता कोई पुराना ख़्वाब आ खड़ा होता है सामने....
बह जाती है स्याही की धार में!
रंगने को कोरा अहसास!!
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