【ढेरों सुंदर परिधान! फिर फटीजींस ही क्यों बने आपकी पहचान!!】


 आजकल लड़का हो या लड़की सभी फटे चिथड़े कपड़े पहनना "cool" मान रहे,,विदेशों में ऐसे फ़टे चिथड़े कपड़े शायद वो ही बच्चे पहनना ज्यादा पसंद करते होंगे जिन्हें गर्मी ज्यादा लगती होगी या फिर उन्हें स्किन एलर्जी होगी और खुजलाने में सुविधा ही मिलती होगी ! या फिर मम्मियों को बिल्कुल भी फुर्सत नही होगी और ऐसी हालत में! "किसी एक बच्चे ने फ़टी जींस को पहनने से हुई झेंप को मिटाने के लिये इसे दोस्तों के बीच फ़ैशन का नाम दे दिया होगा"।

 किन्तु हमारे देश मे ऐसे कपड़े "comfertable"  "faishonable" "cool"  "wow" जैसी feeling भले ही देते हो,या ना देते हो,, किन्तु माता पिता बहुत ही गरीब है या देश का युवावर्ग सच मे बहुत बेरोजगार है, ये feeling जरूर देते हैं। 

बच्चों! होली का त्योहार निकट  ही है!! 

इस बार इन कपड़ो को होलिका दहन की अग्नि में स्वाहा कर दो।

 क्योंकि गरीब से भी गरीब व्यक्ति, चाहे वह स्त्री हो, पुरुष हो,या बच्चा!, 

वो सभी खुद का सामाजिक स्तर बनाये रखने के लिये " साफ़,और दुरुस्त कपड़े पहनना पसंद करता है।

भले ही उसके कपड़े "नए" हो ना हो वह फ़टे कपड़े भी सिल कर ही पहनना चाहता है, बहुत मजबूरी में ही गरीब लोग भी फटे चिथड़े पहनते हैं उनके दिल से पूछिये की कितने मजबूर होते है वे।

 फिर धनाढ्य तबका और उनके बच्चे, गरीबों द्वारा मजबूरी में पहने जा रहे कपड़े पहनने को क्यों फैशन मान रहे????

पश्चिम का ऐसा अंधा अनुकरण करने से अपने बच्चो को रोके और प्यार से समझाए, ना कि स्त्री स्वतन्त्रता की दुहाई दे कर फालतू का अधिकार हनन वाला ड्रामा फैलाये। स्वतन्त्रता और अधिकार के अनेक अनेक मुद्दे हैं,

ऐसे फ़टे कपड़ो से अश्लीलता झलकती हो ना हो, वासना बढ़ती हो ना हो, किन्तु भिखारीपन जरूर झलकता है। कुछ एक चीज पर तो भिखारियों का अपना अधिकार बना रहने दे। फ़टे कपड़े पर भी  सभ्रांत वर्ग अपना अधिकार ना जमाये।


"फटे कपड़े पहनने से दरिद्रता झलकती ही नही आ भी जाती है"। 

माताएं कभी कभार स्वयं भी सुई धागे का भी प्रयोग करना शुरू करे और बच्चे के ऐसे फ़टे कपडे चाहे कितने भी नए हो सिल डाले ,और बच्चो को भी सिखाये तो बेहतर हो फिर चाहे औलाद लड़का हो या लड़की। स्मरण रहे आप बच्चे के अभिवाहक है! बच्चा आपका अभिवाहक नही !!

थोड़ी सख़्ती!थोड़ा प्यार!! अच्छी परवरिश के लिये दोनो जरूरी है

ढ़ेरो खूबसूरत परिधान! फिर फ़टी जीन्स ही क्यों बने आपकी पहचान।।

Comments

  1. प्रस्तुत आर्टिकल स्वलिखित है और किसी भी वर्ग विशेष को मानसिकता बदलने के लिये बाध्य नही करता है।

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