प्रणय निवेदन

प्रियतम प्रणय मिलन की मधुर बेला
आमंत्रण तुम स्वीकार करो
सात फेरे, गठबंधन प्रियमिलन मधुमास तुम याद करो,
बरसो बीत गये किन्तु मानस पटल पर अंकित अब भी नवीनतम प्रणय के हर वो क्षण तुम याद करो,
शने शने जो संग बिताये वर्ष वो कुछ खट्टे कुछ मीठे थे, 
नोक- झोंक से सुसज्जित दिन रैन बड़े ही  पुलकित थे,
क्या तेरा और क्या मेरा वो रैन बसेरा अपना था,
कठिन परिस्थितियों से अनिभिज्ञ मैं कोमल चंचल बाला थी,
'कर' था जो थामा तुमने उस वक्त वो केवल कलाई थी,
उस मधुर मिलन की बेला में बसती बस तब तरुणाई थी,
'मातृ लाडली' अब स्वयं ही 'माता' है जीवन पथ पर चल सकी तब साथ तुम्हारी शक्ति थी,
दो दशक तुम्हारे साथ चली जो आलिंगनबद्ध देह तुम्हारी ही स्वीकृति थी

क्या विस्मृत हो गयी वह सारी स्मृतियाँ या शेष सुधि अभी बाकी है,
प्रिय,
मधुर स्मृतियाँ तुम नवीन रखो बस प्रणय निवेदन फिर स्वीकार करो,
है शुभ-रात्रि वह पुनः,
तुम आलिंगन स्वीकार करो
आमंत्रण स्वीकार करो।।

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