सहगामिनी

सहगामिनीसहचरी सहगामिनी, तेरे संग चलने वाली अर्धांगिनी तुम्हारी,,
वजूद में तुम्हारे खुद को समेटे हुए,
एक कदम पीछे ही चल तेरे,अमूल्य सुख को पाती,,
प्रकृति का अद्भुत उपहार हूँ, शक्ति अपार हूँ ,किन्तु फिर भी तुम बिन नही साकार हूँ....
प्रतिस्पर्धा नही तुमसे, तेरा साथ चाहिए,
मिल कर पूरा कर सके जो स्वप्न्न वो हाथ चाहिए,
तेरे कदमों से कदम कुछ इस तरह मिला दूँ की विलीन हो कर भी लीन रह जाये मेरे कदमों के निशान,
परिणाम समागम का हो ऐसा,
अक्स मेरा आकार तुम्हारा.....
      अर्धनारीश्वर सा नाम कहलाये।।

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