"नैनों की भाषा"
मैं सोचती रही इंतजार करती रही कि तुम कुछ कहोगे,
मेरी हसरतों को अपनी जुबा से बयान तुम करोगे,
कमी तुम में थी या हालात ही कुछ ऐसे थे,
की ना मैं कह पायी ना ही तुम समझ पाए,
की भाषा तुम्हे पढ़ना ना आया
और जुबा की आवाज मैं ना पायी ।।
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