"नैनों की भाषा"

मैं सोचती रही इंतजार करती रही कि तुम कुछ कहोगे,
मेरी हसरतों को अपनी जुबा से बयान तुम करोगे,
कमी तुम में थी या हालात ही कुछ ऐसे थे,
की ना मैं कह पायी ना ही तुम समझ पाए,
की भाषा तुम्हे पढ़ना ना आया
और जुबा की आवाज मैं ना पायी ।।
*************************************

Comments

Popular posts from this blog

संबल

स्वयं से स्वयं को सीखते हुए

अहंकार का शमन और मानवता का अनुसरण