निर्जला
व्रत रखती हैं पुरुषों के नाम के, उम्र भर निर्जल से,
अनजाने में बढ़ा जाती है उम्र अपनी,
जी लेती है पुरुषों से ज्यादा...
औरतें भोली होती है, पति की लंबी उम्र की कामना कभी चाँद तो कभी सूरज को दीया दिखा कर पूरे करती हैं,
और उन्हीं पुरुषों से करती है उम्र भर तकरार, अपने स्त्रीत्व की जंग में जीत हासिल कर सके...
भूल जाती हैं उनकी जीत और पुरुषत्व की हार के बीच ढाल बन खड़ी है वो ख़ुद ही औरत के किसी दूसरे स्वरूप में...
अनजाने में बढ़ा जाती है उम्र अपनी,
जी लेती है पुरुषों से ज्यादा...
औरतें भोली होती है, पति की लंबी उम्र की कामना कभी चाँद तो कभी सूरज को दीया दिखा कर पूरे करती हैं,
और उन्हीं पुरुषों से करती है उम्र भर तकरार, अपने स्त्रीत्व की जंग में जीत हासिल कर सके...
भूल जाती हैं उनकी जीत और पुरुषत्व की हार के बीच ढाल बन खड़ी है वो ख़ुद ही औरत के किसी दूसरे स्वरूप में...
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