तलाश स्वयं की

बड़े अजीब ये हालात है हमेशा परछाई के पीछे भागता क्यूँ इंसान है,
तेज धूप में काला चश्मा चढ़ाता है अंधियारे में आँखे टिमटिमाता है,
जिन्दगी बीत जाती है तो उनमें जीवन तलाशता है,
पहले रेगिस्तान उगाता है फिर गहरे खोद पानी तलाशता है.......

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