दुर्गा आदि से अनंत


मैं योग माया, महा माया...
श्री विष्णु के नेत्रों में योगनिद्रा रूप अवस्थित थी,
बाद प्रलय के जब सम्पूर्ण पृथ्वी थी  जलमग्न और अंधकार में डूबा ब्रम्हांड.....
मधु कैटभ दोउ दैत्य बन जब प्रकट हुए कर्ण मैल से तुम, गर्व में दर्पित स्वयं पालनकर्ता (विष्णु) को दे डाली चुनौती और सृष्टिकर्ता(ब्रह्मा)को आहत कर डाला अपने मद में चूर हुए तुम,
मैं तो स-स्नेह आंखे मूंदे नेत्रों, भुजाओं और वक्षस्थल में निर्लिप्त पड़ी थी श्री विष्णु में खोई हुई थी,
सृष्टिकर्ता स्वयं करबद्ध हो जब करने लगे आवाहन मेरा...
तत्क्षण मैंने मोह को त्यागा कर्म को अपने त्वरित पहचाना, और तुम्हारा वध करवाया,
अपनी आसुरी प्रवृति से ग्रसित तुमने फिर महिसासुर बन आधिपत्य जमाया,
त्राहि त्राहि कर सुर-नर शरण मांगते ब्रह्मा विष्णु महेश के आगे,
तेजपुंज त्रिदेव से निकला...
समस्त देवों के शरीर से प्रादुर्भूत वह तेज पुंज अतुलनीय था मेरा ,
चिक्षुर, चामर, उदग्र, महाहनु और असिलोमा....
वाष्कल, विडाल सहस्त्रो महादैत्य संग महिषासुर का वध कर मैं महिषासुरमर्दिनि कहलायी,
तामसी प्रवृति तेरी जाती नही पर,
तो मैं भी तो हूँ विष्णुमाया ....
कभी बने तू शुम्भ निशुम्भ और कभी चण्डमुण्ड रूप धर कर आ जाये...
क्यों मुझको तू समझे बस नारी देह और अधिकार अपना जताये,
ह्रदय मेरा कोई जीत न पाया जिसने भी बल छल अपनाया...
कोमलांगी मैं परमश्रेष्ठ पद्मावती निवासिनी भैरव के अंक की, दृढ़ प्रतिज्ञा और हठ वाली...
मानस से जो असुर प्रवृति का हो, उसका प्रणय निवेदन कैसे स्वीकारे रिपू दमन स्वयं करने वाली,
तू धूम्रलोचन बन आये मैं हुँकार मात्र से तुझे भस्मीभूत कर डालूँ....

युग कोई भी हो , काल कोई भी आये,
तू मुझ पर जब भी कुदृष्टि डाले,
मैं ही दुर्गा मैं ही काली और मैं ही वैष्णवी, माहेश्वरी और मैं ही शिवशक्तिस्वरूपिणी...
मैं फिर फिर फिर अवतरित होती रहूँगी जब तक तू मानव मन मे आसुर रूप से आरूढ़ रहेगा,
अरे वैप्रचित भक्षण कर तेरा रक्तदंतिका कहलाऊंगी,
वर्षाविहीन जब धरती तेरे कर्मो से विचलित होगी अयोनिजा पुनः प्रकट तो होगी,
शाकम्भरी और भीमावती कभी बनूँ तो,शत नेत्रों से मुनि जन को देखूँ जो शताक्षी नाम से पूजी जाऊँगी...
              नारी हूँ.......
सत्पुरुषों में सदैव ही पूजी जाउंगी,
मनुष्य नही वो जो स्त्री को प्रताड़ित
      कर आत्म सन्तुष्टि पाता हो,
दुर्गा बन स्त्री भी क्षण में फिर महिषासुर  वध कर डालेगी जब अपनी शक्ति को
            कभी पहचानेगी...
                   🙏

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