शिवाय त्वम मम् आराध्य


"शिवाय" त्वम मम् आराध्य
हिमालय सा अटल, हिमालय से भी निश्छल,
शिवाय तुम अजेय हो,
स्मृति में बने स्मृति से जुड़े, शिवाय तुम श्रधेय हो,
अनन्य, अपार, तुम सदैव पूज्यनीय,
दशक से तप में लीन हो प्रयत्न न कोई डिगा सका,
किन्तु ये बहुत हुआ, त्रिनेत्र अब मुक्त करो,
प्रकृति का नियम यही शिव और शक्ति एक हो,
जन्म जन्मांतर से जुड़ी जो पार्वती वही श्रेष्ठ है,
मौन से भी मौन हो शब्द स्वयं में विलीन क्यों,
भावनाये प्रस्फ़ुटित करो सृष्टि को संचार दो,
पूज्यनीय सदैव तुम ह्रदय में सर्वश्रेष्ठ हो,
      विसंगतियां भले विस्तृत रहे
          प्रणाम तुम्हें सदैव है।।

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