दिपावली
जब मन का कोना अंधकार से भरा हो,
और चहुँ ओर हो अज्ञानता का तिमिर.....
दीपक की एक लौ जलाना, ज्ञान की बाती प्रेम तैल में....
ज्योत वो भर देगी प्रकाश से,हर लेगी मन की अज्ञानता,
और जो धारा प्रेम की बहेगी.....
वो दीपावली कहलायेगी।
और चहुँ ओर हो अज्ञानता का तिमिर.....
दीपक की एक लौ जलाना, ज्ञान की बाती प्रेम तैल में....
ज्योत वो भर देगी प्रकाश से,हर लेगी मन की अज्ञानता,
और जो धारा प्रेम की बहेगी.....
वो दीपावली कहलायेगी।
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